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मैसूर के शेर टीपू सुल्तान हिस्ट्री इन हिंदी

January 16, 2021 by staff

टीपू सुल्तान 

शेर की एक दिनकी जिंदगी,गीदड़ की सौ साल की जिंदगी से बेहतर है

ये मुहावरा तोआप लोगों ने कहीं न कहीं सुना ही होगा लेकिन क्या आपने सोचा की यह मुहावरा सबसेपहेले किसने बोला था| दोस्तों यह मुहावरा हैशेर-ए-मैसूर टीपू सुल्तानका|

Tipu sultan in Hindi

आज में आपलोगों को उसमैसूर के शेर टीपू सुल्तान की हिस्ट्रीबताऊंगा जो अपने देश के लिए यानि भारत केलिए अंग्रेजों के साथ आखरी दम तक लड़ता रहा और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीदहोनेवाला पहेला सेनापति बना|

ये वही टीपूसुल्तान हैं जिनको शहीद करने के बाद उनकी लाश पर खड़े होकर अंग्रेजों के जनरल नेकहा था की आज से यह भारत हमारा हुआ|

ये वही टीपूसुल्तान हैं जो जब तक जिन्दा रहे तब तक भारत और अंग्रेजों के बीच एक दीवार बनकेखड़े रहे|

जिस दिनअंग्रेज टीपू सुल्तान के महल में ही रहेनेवाले गद्दारों की मदद से टीपू सुल्तान कोशहीद करने में कामयाब हो गए थे उसी दिन से धीरे धीरे पुरे हिंदुस्तान पर अंग्रेजोंका कब्ज़ा होना शुरू हो गया था| जिसके बाद एक दिन वो भी आया की जब पुरे भारत परअंग्रेजों का कब्ज़ा हो गया|

आज ऐसा समय आचूका है की जिस इंसान ने हमारे देश को अंग्रेजों से बचाने के लिए बहोत सारीकुर्बानियाँ दी आज उसी इंसान के इतिहास को हमारी किताबों से मिटाया जा रहा है|

लेकिनमिटानेवाले ये नहीं जानते की हिस्ट्री एक ऐसी चीज है जिसे लिखा नहीं जाता क्यूंकिलिखी हुई चीजे मिटा दी जाती है,हिस्ट्री तो बनायीं जाती है और हिस्ट्री बनाते भी वही लोग हैं जो हिस्ट्री बनानेके काबिल होते हैं|

लोगों के मनमें टीपू सुल्तान से जुड़े बहोत सवाल आते हैं कीटीपू सुल्तान कौन थे ?, उन्होंनेअपनी जिंदगी कैसे गुजारी ? और उन्होंने हमारे देश भारत को अंग्रेजों से कैसे बचाकेरखा था ?

Tipu Sultan

Tipu Sultan Kaun Tha ?

टीपू सुल्तान हैदरअली के सबसे बड़े बेटे थे, उनकी माँ का नामफखरुन्निशा था, उनकी त्वचा का रंग काला था और शरीर का कद छोटा था|

हैदर अली जितनेबहादुर थे उतने ही ज्यादा होशियार भी थे| इन्होने अंग्रेजों से50साल तकमुकाबला किया था और अंग्रेजों को नोर्थ इंडिया पर कब्ज़ा करने से रोके रखा था|

हैदर अली की सबसे बड़ी ताकत उनका बड़ा बेटा टीपू सुल्तान था| टीपू सुल्तान कोहैदर अली का दाहिना हाथ माना जाता था|

टीपू सुल्तानजब छोटे थे तब अंग्रेज भारत में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रहे थे| टीपू सुल्तानके पिता ने उनकी परवरिश का एक अच्छा इन्तेजाम किया था और उनकी तालीम के लिए बड़ेबड़े टीचर्स को दूर दूर से बुलवाया गया था|

कहा जाता है कीउनको अरबी,फारसी,हिंदी,इंग्लिश,फ्रेंच, उर्दू और तमिल जैसी कई भाषाएँ आती थी| इसके साथ साथ उनकोबचपन से ही घुड़सवारी,तीरंदाजी,तलवारबाजी औरनेजाबाजी जैसी चीजों में भी महारत हांसिल थी|

1769में अंग्रेजों ने एक ऐसी बंदरगाह पर कब्ज़ा कर लिया था जोटीपू सुल्तान की सल्तनत में आती थी और उस जगह से उन्होंने अपना कंट्रोल खो दियालेकिन टीपू सुल्तान इस हादसे की वजह से चेन से नहीं रह पा रहे थे और फिर उन्होंनेअपने पिता के साथ मिलकर उस जगह को जितने की ठान ली|

इसके बाद दूसरा एंग्लो मैसूर वॉर शुरू हो गया जिसमे टीपू सुल्तान ने अपनेपिता हैदर अली के साथ मिलकर अंग्रेजों को खदेड़ दिया|

1780एक बार फिरअंग्रेजों ने जंग छेड़ दी लेकिन इस बार भी टीपू सुल्तान ने अपने पिता के साथ90हजार कालश्कर लेकर बेंगलोर पहोंचे और इस जंग में भी टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों को धुल चटादी|

यह हार अंग्रेजों के लिए इतनी खतरनाक हार साबित हुई की इसका असर सीधाब्रिटन तक हुआ|

टीपू सुल्तान की तलवार 

Tipu Sultan ka Itihas

7दिसम्बर1782को हैदर अली का इन्तेकाल (मृत्यु) हो गया| इसवक़्त टीपू सुल्तान की उम्र22साल की थी| यानि22साल की उम्र में टीपूसुल्तान के सर पर सल्तनत का भार आ गया था|

इतनी कम उम्र में मैसूर के तख़्त पर बैठने के बाद उनपर कई मुसीबतें आ गयी थीजिनमे सबसे बड़ी मुसीबत अंग्रेज थें|

टीपू सुल्तान बहादुरी और होशियारी में अपने पिता से बहोत आगे थे| वे हंमेशाएक आम इंसान की तरह रहा करते थे|

वो दुसरे बादशाहों की तरह पीछे खड़े होकर अपने सिपाहियों को हुक्म नहीं दियाकरते थे बल्कि वो हर जंग में सबसे आगेवाली लाइन में खड़े होकर अपने सिपाहियों केसाथ लड़ा करते थे|

अंग्रेज बार बार कोशिश करते लेकिन टीपू सुल्तान को हरा नहीं पाते थे| टीपूसुल्तान की होशियारी के आगे अंग्रेजों की तमाम शाजिशें नाकाम हो जाती थीं|

टीपू सुल्तान की हिस्ट्रीमें एक वक़्त ऐसा भी आया जब अंग्रेजों को टीपूसुल्तान से संधि (समजोता) करनी पड़ी और इस संधि में टीपू सुल्तान ने जो शर्तें रखींवो सब अंग्रेजों को माननी पड़ी और यह हिंदुस्तान के इतिहास में पहेली बार हुआ था जबकोई हिन्दुस्तानी अंग्रेजों पर इतना भरी पड़ा था|

टीपू सुल्तान की जो जल सेना थी वो उस समय की सबसे मजबूत जल सेना मानी जातीथी|

टीपू सुल्तानको ही इस दुनिया का सबसे पहेलामिसाइल मेनमाना जाता है| भारतमें परमाणु बम का अविष्कार करनेवालेडॉ ए पि जे अब्दुल कलामके मुताबिक टीपूसुल्तान ही दुनिया का सबसे पहेला इंसान था जिसने रोकेट टेक्नोलॉजी पर काम किया था|

टीपू सुल्तान की रोकेट टेक्नोलॉजी के जरिये से ही इस दुनिया ने रोकेट कोबनाना सिखा था| अंग्रेजों ने बाद में जितने भी रोकेट बनाये थे वो टीपू सुल्तान कीटेक्नोलॉजी का उपयोग करके ही बनाये थे| टीपू सुल्तान को शहीद करने के बाद अंग्रेजउनकी टेक्नोलॉजी इंग्लैंड ले गए थे|

टीपू सुल्तानने रोकेट की खोज करने के साथ जंग करने के नए नए तरीके भी खोजेथे| उन्होंने जंग करने के तरीकों पर एक किताब भी लिखी थी जिसका नाम थाफतह-उल-मुजाहिदीन| फतह-उल-मुजाहिदीन हिंदुस्तान की पहेली किताब थी जो जंग करने केतरीकों को सिखाने के लिए लिखी गयी थी|

टीपू सुल्तान ने अपनी सल्तनत में अपने नाम के सिक्के शुरू करवाए थे| उस समयतुर्की में मौजूदसल्तनत-ए-उस्मानिया(OTTOMAN EMPIRE)जैसी बड़ी सल्तनत भीउनको बहोत अहेमियत दिया करती थी|

जब अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने के लिए टीपू सुल्तान को सिपाहियों की जरुरत पड़ीतो उन्होंनेसल्तनत-ए-उस्मानियासे मदद की गुहार लगाई थी जिसके बदले उस समय केसल्तनत-ए-उस्मानियाके सुल्तान ने टीपू सुल्तान की बहोत मदद की थी|

जब अंग्रेजों को इस बात का यकीन हो गया था की हम टीपू सुल्तान का मुकाबलाखुले मैदान में नहीं कर सकते हैं तो उन लोगों ने दूसरा तरीका अपनाया और उन्होंनेपैसों का लालच देकर हिंदुस्तान में रहेनेवाले गद्दारों को ढूँढना शुरू कर दिया|

इस समय हिंदुस्तान की दो बड़ी सल्तनतें मुग़ल और मराठा अंग्रेजों के सामनेबहोत कमजोर पड़ चुके थे और इस समय जो सल्तनत अंग्रेजों के लिए खतरा थी वो टीपूसुल्तान की सल्तनत-ए-मैसूर ही थी|

अंग्रेजों को कुछ गद्दार मिल भी गए| टीपू सुल्तान के महल में रहेनेवालाउनका बहोत करीबी जिसका नाम मीर सादिक था उसने लालच में आकर अंग्रेजों से हाथ मिलालिया और इसके साथ उस वक़्त के हैदराबाद के निजाम और मराठाओं ने भी अंग्रेजों के साथहाथ मिला लिया था|

मीर सादिक टीपू सुल्तान का सबसे खास वजीर था| मीर सादिक हैदर अली के दौरमें एक बाजार में आम कोतवाल हुआ करता था लेकिन हैदर अली ने मीर सादिक को एक शहर कासुबेदार बना दिया था क्यूंकि मीर सादिक बहोत ही होशियार और चालक आदमी था|

मीर सादिक की होशियारी और चालाकी को देखकर हैदर अली ने उसे अपना खास वजीरबना लिया था| उसे हैदर अली ने अपनी सल्तनत के सारे माल और खजाने की देखरेख का कामदे दिया था|

टीपू सुल्तान का समय आते आते मीर सादिक ने सल्तनत के खजाने में बहोत जयादा गड़बड़ीकर दी थी और जब इस बात की खबर टीपू सुल्तान तक पहोंचाई गयी तो टीपू सुल्तान नेतुरंत इसकी जांच का आदेश दे दिया|

जांच में मीर सादिक मुजरिम साबित हुआ और उसके घर से लाखों रूपये का काला धनमिला| यह देखकर टीपू सुल्तान ने तुरंत मीर सादिक को वजीर के पद से हटा दिया और उसकापूरा काला धन जब्त कर लिया|

मीर सादिक एक चालाक इंसान था उसने एक बार फिर टीपू सुल्तान से मुलाकात कीऔर उनसे माफ़ी भी मांगी| मीर सादिक ने कुरान पर हाथ रखकर ये कसम भी खायी की वो आगेखभी भी ऐसी कोई हरकत नहीं करेगाजिससे उनको या सल्तनत को कोई परेशानी हो|

टीपू सुल्तान रहमदिल और नेक इंसान थे इसीलिए उन्होंने मीर सादिक को माफ़ करदिया और फिरसे उसे अपना खास वजीर बना लिया|

लेकिन उस समय टीपू सुल्तान को इस बात का जरा भी अहसास नहीं था की जिस इंसानको वो आज माफ़ कर रहे हैं वो आनेवाले दिनों में इतनी बड़ी गद्दारी करेगा की इसकानुकशान सल्तनत-ए-मैसूर को ही नहीं पुरे भारत को होगा|

मीर सादिक ने भले ही टीपू सुल्तान से माफ़ी मांग ली थी लेकिन उसके दिल मेंबदला लेने की आग अब और ज्यादा बढ़ गयी थी और मीर सादिक अब एक मौका ढूंढ रहा था|

मीर सादिक को अंग्रेजों की शकल में टीपू सुल्तान के खिलाफ मौका मिल भी गया|अंग्रेजों ने मीर सादिक को हुकूमत का लालच दिया और ये वादा किया की टीपू सुल्तानको ख़त्म करने के बाद तुमको ही मैसूर का अगला बादशाह बनाएंगे|

इस शर्त पर मीर सादिक राजी हो गया और उसने अंधरुनी तौर पर टीपू सुल्तान कीसल्तनत को बर्बाद करना शुरू कर दिया|

मीर सादिक दूसरी सल्तनत से आये खत को पहेले खुद पढ़ लिया करता था और उस खबरको अंग्रेजों तक पहोंचा दिया करता था इससे टीपू सुल्तान को बहोत नुकशान हुआ करताथा|

जिसके बाद अंग्रेजों की फ़ौज,मराठाओं की फ़ौज और हैदराबाद के निजाम की फ़ौज ने मिलकर टीपू सुल्तान की फ़ौजपर हमला कर दिया|

टीपू सुल्तान को जब इस बड़े हमले की खबर मिली तब वो खाना खा रहे थे| इस हमलेकी खबर सुनते ही टीपू सुल्तान तुरंत खाना छोड़कर खड़े हो गए|

उनके कुछ वफादार सिपाहियों ने उनको यह मशवरा दिया की सुल्तान इस वक़्त हमारेपास मुट्ठीभर ही फ़ौज है इसलिए बहेतर यह होगा की आप इस महल के ख़ुफ़िया रास्तों सेबहार निकल जाए और अपनी जान बचा लें|

Tipu Sultan Biography in Hindi

लेकिन टीपू सुल्तान ने उस समय अपने वफादार सिपाहियों से यह ऐतिहासिक अल्फाज कहे थे“शेर की एक दिन की जिंदगी, गीदड़ की सौ साल की जिंदगी से ज्यादाबहेतर है”|

अंग्रेजों के लिए एक मुसीबत यह भी थी की उन्हें यह नहीं मालूम था की टीपूसुल्तान कौन है क्यूंकि मेने आपको पहेले भी बता दिया है की टीपू सुल्तान एक आमइंसान की तरह रहा करते थे और जंग में भी वो एक आम सिपाही की तरह ही लड़ा करते थे|

अंग्रेजों की इस परेशानी को भी मीर सादिक ने ख़तम किया और इशारे में यह बतादिया की इन सिपाहियों में असली टीपू सुल्तान कौन है|

मीर सादिक जंग के मैदान से भागता हुआ सीधा महल की तरफ गया और महल के सारेदरवाजे बंध कर दिए ताकि टीपू सुल्तान महल में ना जा सकें|

अपने मुट्ठीभर सिपाहियों के साथ अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते लड़ते 4 मई 1799को टीपूसुल्तान ने इस दुनिया को अलविदा कहा| इस तरह टीपू सुल्तान अंग्रेजों के खिलाफ लड़तेलड़ते शहीद होनेवाले पहेले शाशक बने|

टीपू सुल्तान की मृत्यु के समय की तस्वीर

टीपू सुल्तान से अंग्रेज इतना डरते थे की जब टीपू सुल्तान शहीद हो गए तोउसके कुछ देर बाद भी अंग्रेजों में इतनी ताकत नहीं थी की वो उनकी लाश के पास जासके|

आपको पहेले ही बता दिया की टीपू सुल्तान के शहीद होने के बाद उनकी लाशपरखड़े होकर अंग्रेजों के जनरल ने यह बात कही थी की “आज से हिंदुस्तान हमारा हुआ”|टीपू सुल्तान को शहीद करने के बाद लंदन में एक बड़ा जश्न मनाया गया था|

जंग ख़तम होने के बाद जब मीर सादिक अंग्रेजों से मिलने जा रहा था तब रस्तेमें उसे मैसूर की जनता और टीपू सुल्तान के बचे हुए सिपाहियों ने घेर लिया और उसेइतनी बुरी तरह से मारा की उसकी वहीँ पर मौत हो गयी|

टीपू सुल्तान को हर इंसान स्वतंत्रसेनानी मानता है लेकिन कुछ सालों से इसनफरत की राजनीती का असर टीपू सुल्तान पर भी पड रहा है|

आप लोगों कोटीपू सुल्तान की हिस्ट्रीकैसी लगी Comment करके जरूर बताएं|

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