
RED FORTयानिलाल किलाआज दिल्ली ही नहीं पुरे भारत की शान है| भारत कोअंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद सबसे पहेले पंडित जवाहरलाल नेहरु ने राष्ट्रियद्व्ज यानी तिरंगा इसी लाल किल्ले पर फहराया था इसके बाद हर साल स्वतंत्रता दिन परयहाँ प्रधान मंत्री द्वारा तिरंगा फ़हराया जाता है|
दिल्ली का यहलाल किलाइतिहास की कई घटनाओं का साक्षी रहा है| देश विदेश सेहजारों लोग इसकी खूबसूरती देखने आते हैं| इसके अंदर मौजूद कई महलों को आज भी पहेलेकी तरह सजा के रखा गया है|
लाल किले के अंदर घुमने की जगहें :- दिल्ली गेट, लाहोरी गेट, नक्कार खाना, रंग महल, मोती मस्जिद, मुमताज महल, हिरा महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, हम्माम|
इस किले में बनी हुई कई मस्जिदों को आम जनता के लिए बंध रखा गया है और इसकिले की सुरक्षा के लिए कई पुख्ता इन्तेजाम किये गए हैं|
शाहजहाँ को लाल और सफ़ेद रंग बहोत पसंद था इसी वजह से किल्ले के निर्माण केलिए लाल रंग के पत्थर के चुनाव किया गया| इस किले का नक्शा प्रसिद्ध वास्तुकारउस्ताद अहमद लाहोरी ने बनाया था|
शाहजहाँ चाहते थे की इस किले को ऐसा बनाया जाए की यह किला सबसे सुंदर औरसबसे मजबूत हो|
शाहजहाँ के युग को मुघलकाल का सुवर्ण युग कहा जाता है| शाहजहाँ स्थापत्य औरकला प्रेमी थे इसलिए उन्होंने बहोत सारी खुबसूरत इमारतें बनवाई थी जिनमे एक ताजमहलभी शामिल है|

Red Fort Information in Hindi
दिल्ली का वोहिस्सा जिसे आज पुरानी दिल्ली के नाम से पहेचाना जाता है वहां दिल्ली का लाल किलास्थित है|
1627में मुग़ल बादशाह शाहजहाँ तख़्त पर आये तब देश में अमन औरचैन था| शाहजहाँ को बड़ी बड़ी इमारतें बनवाने का शौक था|
उस समय मुग़ल सल्तनत की राजधानी आगरा थी लेकिन आगरा में ज्यादा गर्मी होनेकी वजह से बादशाह ने किसी दूसरी जगह पर राजधानी बनाने का सोचा| बहोत सोच विचार केबाद बादशाह ने अपनी नयी राजधानी दिल्ली में बनाने का नक्की कर लिया|
तालकटोरा बाग़ और रायसीना पहाड़ी का चुनाव नए शहर के लिए किया गया था लेकिनबादशाह के दो नामी कारीगर उस्ताद हमीद और उस्ताद अहमद ने यमुना के किनारे खुलेमैदान को किले के निर्माण को बिलकुल सही बताया|
इसी किले के ठीक सामने शाहजहांनाबाद शहर बसाया गया जिसे आज हम दिल्ली केनाम से जानते हैं|
जब यह आलिशान किला बनकर तैयार हुआ तब तब बादशाह शाहजहाँ काबुल में थे| किलाबनने की खबर सुनते ही बादशाह काबुल से तुरंत रवाना हो गए|
लाल किले से जुडा सलीम गढ़ का किल्ला है जिसका निर्माण शेरशाह सूरी के बेटेसलीमशाह सूरी ने1546में करवायाथा| सलीम गढ़ किले का इस्तेमाल शाही कैदखाने के रूप होता था|
Red Fort in Hindi
इस किल्ले की प्राचीर का निर्माण औरंगजेब ने करवाया था| किले के आगेऔरंगजेब ने एक दिवार बन्दी थी जिसे घूँघटवाली दिवार कहा जाता है|
शाहजहाँ ने अपनी क़ैद के दिनों में आगरा से औरंगजेब को ख़त भेजा जिसमे लिखाथा की दिवार बनवाकर तुमने जैसे दुल्हन के चेहरे पर तुमने घूँघट डलवा दिया है|
उस समय इस बाजार में सभी तरह की चीजें मिला करती थी और आज यह बाजारसैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है|
लाहोरी दरवाजे के छत्ते से निकलकर रस्ता नक्कारखाने की तरफ जाता है|नक्कारखाना दो मंजिला ईमारत है और इसके सामने एक चौक था जिसके बिचमे एक सरोवर थाजो अब मैदान बन चूका है|
नक्कारखाने में हररोज पाँचबार नोबत (पिपुड़ी और ढोल) बजती थी, रविवार कोपुरे दिन नोबत बजती थी और बादशाह के जन्मदिन पर भी पुरे दिन नोबत बजा करती थी|
नक्कारखाने के सामने दीवान-ए-आम है| यहाँ जगह जगह बेशकीमती कश्मीरी कालीनसे सजावट की गयी थी| दिवान-ए-आम में जहाँ सोना और कीमती पत्थर जड़े हुए थे उन्हेंनिकाल लिया गया था लेकिन उन खली जगहों के निशान भी सुंदर दीखते हैं|

दीवान-ए-आम तीन तरफ से खुलाहुआ है, इसकी लम्बाई40फूट और पहोडाई80फूट है औरछत की ऊंचाई30फूट है|
यहीं बीच में8फूट ऊंचाई पर संगेमरमर का सिंहासन है| जब कभी दरबार-ए-आमहोता था तब बादशाह यही बैठते थे| इस सिंहासन के निचे संगेमरमर का एक सुन्दर तख़्तहै जो3फूट ऊँचा,7फूट लंबा और4फूट चौड़ा है| इसी तख़्त पर खड़े होकर वजीर बादशाह को निवेदन करते या अर्जीपेश करते थे|
दीवान-ए-आम से निकलकर उत्तर में एक दरवाजा था जिसे लाल पर्दा कहा जाता था|वहां से सीधे दीवान-ए-खास, हम्माम,मोती मस्जिद और बादशाह के निजी माकन थे| यहीं से एक रास्ता रंग महल औरजनानखाने की तरफ जाता है|
इसके उत्तर में उस समय में मशहूर हयात बख्श बाग़ था जिसका आज कुछ अतापतानहीं है|
दीवान-ए-खास की शानदार ईमारत संगेमरमर की बनी हुई है| उस समय इसकी छत चाँदीकी हुआ करती थी| दीवान-ए-खास के बिचमे एक नहर बहा करती थी जिसे नाहर-ए-बहिश्त कहाजाता था|

इसी दीवान-ए-खास में लिखा है की अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वो यहींहै,यहीं है,यहीं है|
दीवान-ए-खास से उत्तर की दिशा में शाही हम्माम है इसमें तीन बड़े कमरे हैंजिनमे स्नान के लिए हौज है| इस हम्माम की दीवारें और फर्श को किंमती रंगीन पत्थरोंसे सजाया गया है|
हम्माम से उत्तर की दिशा में बहादुर शाह का बनवाया हुआ हीरा महल है| इसे1824में बनवायागया था|
औरंगजेब ने लाल किले में मोती मस्जिद को बनवाया था जो पूरी तरह संगेमरमर कीबनी हुई एक खुबसूरत मस्जिद है| इसे बादशाह और उनके बेगमों के लिए बनवाया गया था|
1842मेंबहादुरशाह जफ़र ने यहाँ जफ़र महल का निर्माण करवाया था जो लाल पत्थर का बना हुआ है|यह मेहताब बाग़ के बीचोबीच है|
इसके सामने मुसम्मज बुर्ज है| इसके निचे यमुना की तरफ दरियाई दरवाजा हैजहाँ से बादशाह शाहजहाँ बड़ी धूमधाम से पहेली बार इस किल्ले में दाखिल हुए थे|
दीवान-ए-आम के पीछे रंग महल है| इस महल की छत चाँदी की थी जिसे उखाड़करतांबे की लगवा दी गयी और बाद में तांबे की भी छत उखाड़कर लकड़े की सिंदूरी रंग की छतलगवा दी गयी|
इस रंग महल को अंग्रेजों ने1857के बाद रसोईघर बना दिया था|
यहीं थोड़ी दूर मुमताज महल है जिसे1857के बाद में कैदखाने मेंबदल दिया गया| आज इसे संग्रहालय बना दिया गया है|
मुमताज महल के दक्षिण में आगे असद बुर्ज है|
1739में फारसीसम्राट नादिरशाह ने मुग़लों को पराजित किया और अपने साथ किले के कुछ किंमती सामानभी ले गया था जिनमे प्रसिद्ध तख्त-ए-ताउस भी शामिल था जो मुग़लों के शाही सिंहासनोंमें जाना जाता था|
इस समय मुग़ल बहोत कमजोर हो चुके थे जिसकी वजह से उन्होंने मराठाओं के साथसंधि करी थी| मराठाओं ने उनकी और उनके किले की रक्षा करने का वादा किया था|

Red Fort History in Hindi | History of Lal Kila in Hindi
1760में जब दुर्रानी वंश के अहमद शाह दुर्रानी ने दिल्ली परकब्ज़ा करने की धमकी दी तो मराठों ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए दीवन-ए-खास कीचाँदी की छत निकल ली लेकिन पानीपत की तीसरी लड़ाई में अहमद शाह दुर्रानी ने मराठाओंको हरा दिया था और किला जीत लिया|
मराठाओंने1771में किले कापुनःनिर्माण किया और शाहआलम द्रितीय को16वें मुग़ल सम्राट के रूप में गद्दी पर बिठाया|
1788में मराठाओं ने किले पर कब्ज़ा कर लिया और आनेवाले20वर्षों तकदिल्ली पर शासन किया|
1820में अंग्रेजों ने मराठाओं को हराकर किले पर कब्ज़ा करलिया|
आखरी मुग़ल सम्राट बहादुर शाह जफ़र को पकड़कर अंग्रेजों ने रंगून कैदखाने भेजदिया|
मुग़लों के पतन के बादलाल किलेके किंमती सामान को लुटने के लिए अंग्रेजोंका रास्ता बिलकुल साफ़ हो चूका था| किले की सभी किंमती चीजें अंग्रेजोंने इंग्लैंडभेज दी|
कई बेशकिंमती चीजें जैसे कोहिनूर हिरा, बहादुरशाह जफ़र का सोने का ताजऔर शाहजहाँ का शराब का प्याला ब्रिटिश सरकार कोभेज दिया गया|
इस किले ने मुग़लों का ऐशोआराम और अंग्रेजों का जुल्मों-सितम देखा है|
लाल किला घुमने का सही समय-लाल किला घुमने कब जाएँ ?
आप शांति और सुकून से लाल किला घूमना चाहते हैं तो यहाँ किसी उत्सव पर या किसी खास दिन ना जाएँ क्यूंकि यहाँ बहोत भीड़ हो सकती है|
गर्मी के समय यहाँ नहीं जाना चाहिए क्यूंकि यहाँ गर्मी बहोत होती है ठंडी के समय यहाँ घुमने के लिए बहोत सही वक़्त है|
लाल किले में रोज शाम के समय लाईट शो किया जाता है जिसके जरिये पर्यटकों को मुग़लों के इतिहास के बारे में जानकारियाँ दी जाती है| इस लाईट शो को देखने के लिए आपको यहाँ शाम तक रुकना होगा और इसके टिकट के लिए अलग से पैसे चूकाने पड़ेंगे|
आप लोगों कोRed Fort in Hindiजानकारी कैसी लगी Comment करके जरूर बताएं|