
आज आपको मेंअहमदाबादकी एक रहस्यमयी जगहझुलता मीनार की हिस्ट्रीबताऊंगा जो अपने मीनारों के रहस्यों की वजह से इस दुनिया में बहोत चर्चित है|
गुजरात राज्य केअहमदाबाद में सिदी बसीरनाम की एक मस्जिद है जिसेझुलतामीनार के नाम से जाना जाता है| इस मीनार की यह खासियत है की किसी एक मीनार कोहिलाने पर दूसरा मीनार अपनेआप हिलने लगता है| यही खासियत दुनियाभर के पर्यटक कोयहाँ खेंच लाती है|
यह मीनार ऐसे हिलते हैं की जैसे किसी कागज के बने हों| कोई भी इंसान इसमस्जिद के मीनारों को हिला सकता है|
पानी की बोतल मीनार पर रखने के बाद मीनार को हिलाया जाए तो पानी साफ़ साफ़हिलता हुआ देखा जा सकता है|
Jhulta Minar Ahmedabad History in Hindi
यहाँ आनेवाले लोग इसे अल्लाह का चमत्कार मानते हैं और उन्हें यकीन है कीचाहे कुछ भी हो इस मस्जिद को कोई नुकशान नहीं होगा|
दुनिया के बड़े से बड़े इंजिनियर भी इन झूलते मीनारों का रहस्य नहीं सुलझापाए हैं| इस मीनार ने इंजिनियर और आर्किटेक्ट को उलझन में डाल दिया है|
1947से पहेले इस बात का खुलासा हो गया था की यह मस्लिद ऐसेझूलती है जैसे इंसान झूले पर झूल रहा हो|
झुलता मीनार अहमदाबादकी मशहूर जगहों में से एक है|
इस मस्जिद का निर्माण1461से1464के बीच हुआ था और इसका निर्माण सारंग ने करवाया था जिसनेसारंगपुर गाँव की स्थापना की थी|
उस समय सिदी बसीर इस झुलते मीनार की देखरेख कर रहे थे| सिदी बसीर की मृत्युके बाद इनके शव को इसी मस्जिद के नजदीक दफनाया गया जिसके बाद सिदी बसीर का नाम इसमस्जिद से जुड़ गया|
Jhulta Minar in Hindi
यहाँ कई भूकंप आयें है जिसकी वजह से यहाँ की जमीन भी हिलने लगी थी लेकिन यहमीनार बिलकुल भी नहीं हिलें|
जब लोगों को इन मीनारों के हिलने की बात पता चली तो लोगों को लगा की यहमीनारें गिरनेवाली हैं| जिसके बाद कई इंजिनियर इस मस्जिद की जांच करने आये लेकिनउनको इसमें कोई कमी नहीं दिखी|
इन मीनारों की मजबूती को जब देखा गया तो पता चला की इन मीनारों का हिलना एकरहस्य है|
इन मीनारों के बारे में इंजिनियर और आर्किटेक्ट अलग अलग बातें कहते हैंलेकिन वह इन मीनारों को बनानेवाले इंजिनियर और आर्किटेक्ट का रहस्य नहीं जान सकें|
ब्रिटिश शासनकाल में इस रहस्य को समजने के लिए ब्रिटन से इंजिनियर बुलायेगए थे| उन्होंने मीनारों के आस पास खुदाई भी की लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला| ब्रिटिशइंजिनियर ने एक मीनार को तोड़ के इसका रहस्य पता लगाने की कोशिस की लेकिन उनको कुछनहीं मिला और वो इस मीनार को ठीक भी नहीं कर पायें जिसकी वजह आज भी एक मीनार टूटीहुई दिखाई देती है|
ऐसा माना जाता है की यह मीनारें जाने-अनजाने में झुलनेवाले बन गए हैं|
एक संशोधन में पाया गया है की इन मीनारों को लचकदार पत्थरों से बनाया गयाहै जो सबसे पहेले राजस्थान में पाया गया था|
इस तरह के पत्थर फेल्सपार के घुलजाने पर बनते हैं| फेल्सपार एक ऐसा पदार्थहै जो हलके से हलके एसिड में घुल जाता है|
Jhulta Minar Ahmedabad
इन मीनारों की बनावट में इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है और यह मीनारेंसिलिंडर आकर की बनी हैं यही कारण है की जब इन्हें हिलाने के लिए ताकत लगाई जाती हैतो शक्ति को रोकने के लिए इनमे ऐसा कोई आधार नहीं है जैसा दूसरी इमारतों में होताहै|
इन मीनारों की वास्तुकला भी इनको हिलने में मदद करती है| इन मीनारों केअंदर सीढियाँ सांप के आकर की है|
जब इन मीनारों को धक्का लगाया जाता है तो उसका असर दो दिशाओं में होता है|एक ताकत लगाने की दिशा के विपरीत और दूसरा सर्पाकार सीढियों की दिशा में निचे सेऊपर की और यही कारण है की यह मीनारें आगे पीछे हिलने लगते हैं|
आज इन मीनारों की हालत थोड़ी ख़राब हो चुकी है जिसकी वजह से सर्कार ने इनमीनारों में दाखिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया है|
इन मीनारों के हिलने का सटीक कारण आजतक कोई नहीं जान पाया है| यह भी होसकता है की इनकी बनावट में कोई ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया हो जो हमाराआज का विज्ञान भी नहीं जनता है|
आप लोगों कोझुलता मीनार की हिस्ट्रीकैसी लगी Comment करकर जरूर बताएं औरझूलता मीनारके बारे में आप कुछ जानते हो तो वो भी हमें जरूर बताएं|