Qutub Minar in Hindi | Qutub Minar history in Hindi
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क़ुतुब मीनार |
इस पोस्ट में (Qutub Minar in Hindi) आपको दील्ही की अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक ईमारत क़ुतुब मीनार की हिस्ट्री बताऊंगा जो भारतीय कला का एक
अद्भुत नमूना है|
क़ुतुब मीनार को सबसे ऊँचे गुम्बद वाली मीनार में शामिल किया गया है|
क़ुतुब मीनार देखने जाने के लिए दिल्ही मेट्रो स्टेशन सबसे करीबी स्टेशन है|
नाम | क़ुतुब मीनार |
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ऊंचाई | 72.5 मीटर |
व्यास | 14.32 मीटर |
खूबी | दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची मीनार |
किसने बनवाई | कुतबुद्दीन ऐबक |
मंजिल | पांच |
यह दूसरी सबसे ऊँची मीनार है| क़ुतुब मीनार के आस पास की जगह वर्ल्ड हेरिटेज
में शामिल है|
यह दिल्ही के महरोली जगह पर स्थित है|
यह मीनार लाल पत्थर और मार्बल से बनी हुई है और इसके ऊपर क़ुरान की आयत भी
लिखी हुई है|
क़ुतुब मीनार पांच मंजिला की बनी हुई है और आज भी सभी लोग पांचवी मीनार तक
जा सकते हैं लेकिन इसकी सबसे ऊँची मीनार पर नहीं जाने दिया जाता है|
क़ुतुब मीनार पर ऊपर जाने के लिए गोल सीढियाँ बनी हुई हैं जिनकी संख्या 379
है, इन
सीढियों को ऊपर से देखा जाये तो यह एक कमल के जैसी दिखाई देती है|
Qutub Minar History in Hindi
1100 AD में दिल्ही सल्तनत के संस्थापक कुतबुद्दीन ऐबक ने इसका
निर्माण शुरू किया था|
क़ुतुब मीनार का नाम दिल्ही सल्तनत के अधिकारी कुतबुद्दीन ऐबक के नाम से रखा
गया था|
क़ुतुब मीनार को बनाने वाले का नाम बख्तियार काफी था और वो एक सुफीसंत था|
1220 इसवी में कुतबुद्दीन ऐबक के उत्तराधिकारी और पोते इल्तुत्मिश ने क़ुतुब मीनार में तीन और मंजिल शामिल करवाई थी|
क़ुतुब मीनार बहोत सारी ऐतिहासिक धरोहरों से घिरा हुआ है| इस मीनार की मुख्य
जगह पर दिल्ही का लोहस्तंभ, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, टोम्ब ऑफ़
इल्तुत्मिश, अलाई मीनार, अलाउद्दीन मदरसा, इमाम जमिम टोम्ब शामिल है|
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Qutub Minar |
Qutub Minar Iron pillar history in Hindi
इस मीनार के परीसर में लोहे का एक स्तम्भ भी है जो 2000 साल पुराना है फिर भी आज तक उसमे जंग नहीं लगा है| यह लोह स्तम्भ वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा सर दर्द बना हुआ है|
कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद क़ुतुब मीनार के उत्तर में स्थित है जिसे
कुतबुद्दीन ऐबक ने 1250 में बनवाया था| भारतीय उपमहाद्वीप की यह सबसे प्राचीन
मस्जिद मानी जाती है|
1505 में भूकंप की वजह से क़ुतुब मीनार को क्षति पहोंची थी
जिसे सिकंदर लोधी ने ठीक करवाया था|
1 अगस्त 1903 को भूकंप की वजह से एक बार फिर इस मीनार को
नुकशान हुआ था जिसे ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर रोबर्ट स्मिथ ने 1928 में ठीक
करवाया और सबसे ऊपर के भाग पर एक गुम्बद भी बनवाया था लेकिन बाद में पाकिस्तान के
गवर्नर लोर्ड होर्डिंग के कहने पर इस गुम्बद को हटा दिया गया|
क़ुतुब मीनार की छट्ठी मंजिल को 1838 में निचे ले लिया गया था
और बाद में इसे क़ुतुब मीनार के आस पास दो अलग अलग जगहों पर स्थापित किया गया था|
Qutub Minar in Hindi
इतिहासकारों का मानना है की क़ुतुब मीनार में कई छुपी हुई कब्रें है जिनमे
से एक इल्तुत्मिश की कब्र भी शामिल है| इल्तुत्मिश की दिखाई ना देनेवाली कब्र एक
रहस्य है जो 1235 में बनी थी और वही इल्तुतमिश की असली कब्र है इस कब्र
को 1914 में खोजा गया थ|
आज क़ुतुब मीनार पूरी सिधी नहीं खड़ी है, बार बार भूकंप के झटके लगने की वजह
और पुनः निर्माण करने की वजह से आज यह मीनार थोड़ी झुकी हुई दिखाई देती है|
क़ुतुब मीनार से
थोड़ी दूर पर अलाउद्दीन खिलजी ने एक और मीनार बनवाना शुरू किया था जिसका नाम अलाई
मीनार था लेकिन 1316 में अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु हो जाने के कारण उस मीनार
का काम अधूरा ही रह गया|
क़ुतुब मीनार में सीढियां इतनी छोटी है की उसपे एक समय पर एक ही इंसान ऊपर या निचे जा सकता है|
Amazing Facts about Qutub Minar in Hindi
पेरानोर्मल डिपार्टमेंट ने रात के समय इस मीनार के आस पास किसी अनजानी
शक्तियों के होने की पुष्टि की है|
4 दिसंबर 1984 को इस मीनार के अंदर एक साथ 400 लोग सीढ़ी चढ़कर ऊपर जा रहे थे
जिसमे ज्यादातर स्कूल के बच्चे ही थे| इस मीनार में एक भी बारी नहीं है इसलिए
इसमें उजाला करने के लिए बल्ब लगाये गए थे लेकिन उसी समय किसी कारण की वजह से
बिजली बंध हो जाती है और सभी लोग डर जाते है सीढियां छोटी होनेके कारण इसपर से
जल्दी से उतरा भी नहीं जा सकता था जिसकी वजह से उसदिन 45 लोगों की जान चली जाती
है जिसमे ज्यादातर बच्चे ही थे| तभी से क़ुतुब मीनार के अन्दर जाना बंध कर दिया गया
था|
कुछ लोगों का कहना है की आज भी उन मृत लोगों की आत्मा के होने का वहां
एहसास होता है| जो लोग इस हादसे से पहेले क़ुतुब मीनार के अन्दर गए थे उन लोगों का
कहना है की इस हादसे के पहेले भी ऐसा ही एहसास होता था|
आप आज भी अकेले इसके अन्दर जाएंगे तो आपको ऐसा एहसास होगा की कोई आपके साथ चल रहा है|
Qutub Minar History in Hindiक़ुतुब मीनार विवाद
हिन्दू पक्षों का क़ुतुब मीनार को लेके दावा है की इसके आस-पास की बस्ती को
महरोली कहा जाता है और यह एक संस्कृत शब्द है जिसे मिहिर हवेली कहा जाता है| इस
बस्ती के बारे में ऐसा कहा जाता है की यहाँ पर विख्यात खगोलग्य मिहिर रहा करते थे
जो विक्रमादित्य के दरबारी थे|
क़ुतुब मीनार परिसर में लिखा है की कुतबुद्दीन ने सत्ताइस मंदिर तोड़े थे और
उसके मलबे से इस मीनार को बनाया था परन्तु यह कहीं नहीं लिखा की इस मीनार को
कुतबुद्दीन ने बनाया था|
क्या क़ुतुब मीनार का निर्माण एक टूटे हुए मंदिर के मलबे से किया जा सकता
है? जब की क़ुतुब मीनार की एक एक ईंट का माप सरखा है|
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