
इस आर्टिकल में आपको मेंNASA Full Form in Hindiऔर नासा की जानकारी दूंगा|
NASA Full Form- NATIONAL AERONAUTICS AND SPACE ADMINISTRATION है|
NASAसंयुक्त राज्य अमेरिका की एक शाखा है जो अंतरिक्ष और एरोनोटिकस के कार्यक्रमों को अंजाम देती है|
यह दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सफल अंतरिक्ष एजेंसी है|
इस संस्था29जुलाई1958से कार्य करना शुरू किया था और अभी तक यह कार्यरत है|
इस संस्था का हेडक्वार्टर अमेरिका केवाशिंगटन में है और इस संस्था को अमेरिका ही कंट्रोल करता है|
NASAका नाम पहेलेNACA(NATIONAL ADVISORY COMMITY FOR AERONAUTICS)था|
14सितम्बर2011को नासा ने कहा था की उन्होंने एक स्पेस लोंच सिस्टम को डिजाईन किया है जिसके चलते आर्गेनाइजेशन के एस्ट्रोनोट दूर तक सफ़र कर सकेंगे|
नासा के36%वैज्ञानिक भारतीय हैं या फिर वो भारतीयमूल के हैं|
NASAकी इन्टरनेट स्पीड91 GB/PSहै|
आप नासा के अंतरिक्षयात्री बनना चाहते हैं तो पहेले आप को पृथ्वी की सतह के ऊपर कम से कम50मील की दुरी तय करनी होगी|
NASA Information in Hindi
नासा के पास एक ऐसा यन्त्र है जो एक जगह पर मुशलाधार बारिश बरसा सकता है|
अमेरिका के हर एक डॉलर की कमाई का0.005डॉलर नासा के बजट में जाता है और इस संस्था पर हर साल20 अरब डॉलर खर्च होते हैं|
नासा का सबसे बड़ा लक्ष्य है की मनुष्यों को2030तक मंगल ग्रह पर पहोंचाना|
नासा ने वोटर वर्ल्ड नाम के ग्रह की खोज की है जो पृथ्वी से40प्रकाशवर्ष दूर है|
आपको जानकर हेरानी होगी की आपके टोस्टर में लगा कंप्यूटर नासा के उस कंप्यूटर से ज्यादा शक्तिशाली है जिसका इस्तेमाल एस्ट्रोनॉट को चाँद पर भेजने के लिए किया गया था| इस कंप्यूटर की मेमोरी64 KBहै|
नासा की व्हीकल असेंबली बिल्डिंग इतनी बड़ी है की उम्मस भरे दिनों में इसके ऊपर बारिशवाले बादलों को बनने के लिए10हजार तन हवा साफ़ करनेवाले उपकरणों की जरुरत पड़ती है|
NASA Full Form in Hindi
नासा की व्हीकल असेंबली बिल्डिंग का अपन खुदका मौसम है| हवा साफ़ करनेवाले उपकण का इस्तेमाल न करे तो फ्लोरिडा की नमी वाला मौसम इसके ऊपर बारिस वाला मौसम बना देगा| जिसकी वजह से भारी बारिश होगी|
नासा में18हजार से भी ज्यादा लोग कार्यरत हैं|
अंतरिक्ष के रहस्य और विभिन्न ग्रहों की जानकारी के लिए नासा ने बहोत सारे अंतरिक्ष मिशन किये हैं|
नासा के अंतरिक्ष मिशन-NASA Full Form in Hindi
पायोनीर मिशन
पायोनीर10और पायोनीर11अंतरिक्ष यान1972और1973को लोंच किये गए थे| यह पहेले ऐसे यान थे जिन्होंने जुपिटर और सैटर्न जैसे ग्रहों तक जाने का सफ़र तय किया था|
पायोनीर10अपने लोंच के डेढ़ साल बाद जुपिटर ग्रह तक पहोंचा था| यह पहेला यान था जो मार्स और जुपिटर के बीच में स्थित धूमकेतु घेरे में से होकर गुजरा था|
जुपिटर के नजदीक पहोंचने के बाद पायोनीर10ने उसकी बहोत सुन्दर फोटो खेंची थी और तब जाके वैज्ञानिकों ने पहेलि बार जुपिटर और उसके ग्रेट रेड स्पॉट को देखा था|
एक साल बाद पायोनीर11भी जुपिटर ग्रह के पास पहोंचा और उसने जुपिटर ग्रह के उपग्रह के बारे में रोचक जानकारियां दी|
इन दोनों पायोनीर यान ने सैटर्न ग्रह की बहोत सारी फोटो और जानकारियाँ दी थी|
पायोनीर11ने2011में27अप्रैल को आखरी बार सन्देश भेजा था| अब दोनों पायोनीर यान से संदेश आने बंध हो गए हैं और दोनों यान अंतरिक्ष से बाहर निकल गए हैं|
विक्लिंसन माइक्रोवेव आइसोट्रॉपि प्रोब
यह यान जून2001में लोंच हुआ था| इस यान को ज्यादातर लोग नहीं जानते लेकीन इस यान ने अंतरिक्ष की खोजों में नासा की बहोत मदद की है|
यह यान बिग बेंग के बाद बची हुई रेडीएशन का तापमान नापता है|विक्लिंसन माइक्रोवेव आईसोट्रॉपि यान की मदद से ही हमें ब्रह्मांड की उम्र का पता चला है|
इस यान की मदद से ही पता चला है की ब्रहमांड13.7बिलियन साल पुराना है| अक्टूबर2010को इस यान ने काम करना बंध कर दिया था|
स्पिट्ज़र
स्पिट्ज़र को2003में लोंच किया गया था| यह एक अंतरिक्ष दूरबीन है जो बहोत दूर स्थित आकाशगंगाओं की तस्वीर खिंच सकता है|
2005में स्पिट्ज़र ऐसा अंतरिक्ष दूरबीन बना जिसने दुसरे तारामंडल में स्थित ग्रहों से आती हुई रौशनी को डिटेक्ट किया था|
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है की इस अंतरिक्ष दूरबीन ने ब्रह्मांड के सबसे पहेले तारों से आती हुई रोशनी को भी डिटेक्ट किया है| इस यान के कार्यकाल का अंदाजा ढाई साल का लगाया गया था लेकिन आज भी यह कार्यरत है|
स्पिरिट एंड ओप्पोरचुनिटी
जनवरी2004में स्पिरिट और ओप्पुरचुनिटी नाम के दो रोबोट विरुद्ध दिशा में मंगल ग्रह पर उतरे थे|
इन दोनों रोबोट का मुख्य मकसद मंगल ग्रह पर मौजूद पत्थर, मट्टी और पानी के बारे में जानकारी देना| इनदोनो रोबोट को वहां उतरा गया था जहाँ पानी होने की संभावना थी|
इन रोबोट की भेजी गयी फोटो और जानकारी से पता चला की मंगल ग्रह पर भूतकाल में पानी हुआ करता था
22मार्च2010को स्पिरिट से संपर्क टूट गया लेकिन ओप्पोरचुनिती आज भी सही से काम कर रहा है|
हबल टेलिस्कोप
हबल मिशन24अप्रैल1990को लोंच किया गया था और यह एक अंतरिक्ष दूरबीन है| इस मिशन को यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा ने मिलकर किया था|
इस मिशन को1983में लोंच किया जाने का था लेकिन तकनिकी खामी और बजट की कमी की वजह से लेट हो गया|
ब्रह्मांड की खुबसूरत तस्वीर खेंचने के कारण यह अंतरिक्ष दूरबीन पुरे जगत में मशहूर है| इस हबल दूरबीन का मुख्य मकसद था की इस संसार के सबसे पहेले बने आकाशगंगा की जानकारी देना|
हबल टेलिस्कोप को लोंच करने में4.7बिलियन डॉलर लग गए थे|
हबल टेलिस्कोप अभी भी काम कर रहा है और वैज्ञानिकों के हिसाब से यह2030 तक काम करता रहेगा|
वाइकिंग मिशन
वाइकिंग मिशन में दो अंतरिक्ष यान थे वाइकिंग1और वाइकिंग2| वाइकिंग1,20अगस्त1975को और वाइकिंग2,9सितम्बर1975को लोंच किये गए थे|
इन दोनों यान के दो मुख्य अंग थे ऑर्बिटर और लैंडर| वाइकिंग मिशन को मंगल ग्रह की सतह को जांचने के लिए बनाया गया था|
इस मिशन के हिसाब से ऑर्बिटर मंगल ग्रह के चक्कर लगाएगा और लैंडर मंगल ग्रह पर उतरकर जमीन की जांच करेगा|
वाइकिंगमिशन का मुख्य उद्देश्य मंगल ग्रह की जानकारी देना और मंगल ग्रह पर जीवन की खोज करना| इस मिशन का खर्चा1बिलियन डॉलर था|
13नवम्बर1982को यह मिशन बंध हो गया|
चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी
चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी को नासा ने23जुलाई1999को लोंच किया था| यह यान64घंटो में पृथ्वी का एक चक्कर लगा लेता है|
इस अंतरिक्ष दूरबीन का नाम भारत के महान भौतिक वैज्ञानिक सुब्रमण्यम चन्द्रशेखर के नाम पर रखा गया है|
सुपरनोवा,सेगीटेरियस ब्लैक होल, और बाहरी तारामंडल से आती हुईX-Rayकी खोज इसी दूरबीन ने की है|1999से अभी तक यह काम कर रहा है|
कासिनी हुय्गेंस मिशन
कासिनी हुय्गेंस मिशन जिसे आमतौर पर कासिनी बुलाया जाता है| इस यान को सैटर्न ग्रह और उसके रिंग की जानकारी प्राप्त करने के लिए बनाया गया था|
इस मिशन को नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी और इटालियन स्पेस एजेंसी ने मिलकर बनया था| सैटर्न ग्रह के कक्ष में घुसनेवाला यह पहेला यान था|
इस मिशन को15अक्टूबर1997को लोंच किया गया था| कासिनी और हुय्गेंस दो अलग अलग यान थे जिन्हें एक साथ जोड़ा गया था|
इस यान ने सैटर्न ग्रह, उसकी रिंग और उसके उपग्रह की बहोत सी जानकारियाँ दी थी|15सितम्बर2017को यह मिशन समाप्त हो गया|
अपोलो मिशन
अपोलो11वो मिशन था जिसमे नील आर्मस्ट्रोंग यानी एक इंसान ने चाँद पर कदम रखा था| नासा का यह मानव इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण मिशन था|
अपोलो11ने अमेरिकी राष्टरपति जॉन ऍफ़ केनेडी का चाँद पर सेवियेत यूनियन से पहेले पहोंचने का सपना पूरा किया था|
वायेजर मिशन
पायोनीर यान के लोंच के कुछ समय बाद ही नासा ने वायेजर1और वायेजर2 कोलोंच किया था| इन दोनों यान ने जुपिटर और सैटर्न ग्रह की बहोत खास जानकारियाँ दी जैसे की जुपिटर के रिंग्स,जुपिटर के उपग्रह पर ज्वालामुखी की मौजूदगी|
यह ऐसे पहेले यान थे जो नेपच्यून और युरेनस जैसे ग्रह तक पहोंचे थे और इन दोनों यान ने युरेनस और नेपच्यून के चाँद और उनकी बनावट की अहम् जानकारियाँ दी हैं|
यह इंसानों द्वारा बनाये गए ऐसे यान हैं जो सबसे दूर तक गए हैं| वायेजर1,20अरब किलोमीटर दूर और वायेजर2,17अरब किलोमीटर दूर है|
आपकोNASA Full Form in Hindiऔरनासा की जानकारीकैसी लगी Comment करके जरूर बताएं|