Amrish Puri biography in Hindi
आज आपको में एक ऐसे अभिनेता के बारे में जानकारी दूंगा जो अपने पहेले स्क्रीन टेस्ट में ही फ़ैल हो गया था क्यूंकि उसका चेहरा एक हीरो जैसा नहीं दीखता था| उसने 21 साल तक एक सरकारी नौकरी करी थी लेकिन फिर भी उसने बॉलीवुड का विलन नं 1 बनकर दिखाया|
इस बॉलीवुड के मशहूर विलन का नाम अमरीश पूरी है जिन्होंने अपनी आवाज़ और एक्टिंग के दमपर सारे बॉलीवुड पर राज किया था| आज आपको Amrish Puri biography in Hindi में अमरीश पूरी से जुडी सारी जानकारी प्राप्त हो जाएगी इसलिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें|
नाम | अमरीश निहालचंद पूरी |
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जन्म | 22 जून 1932 |
जन्म स्थलम | नवांशहर, पंजाब, भारत |
माता | वेद कौर |
पिता | निहालचंद पूरी |
भाई | दो बड़े भाई चमन पूरी और मदन पूरी एक छोटा भाई हरीश पूरी |
बहेन | बड़ी बहेन चंद्रकांता |
पत्नी | उर्मिला दीवेकर (1957) |
बच्चें | राजीव पूरी, नम्रता पूरी |
मशहूर डायलॉग | मुगेम्बो खुश हुआ |
मशहूर फिल्म | MR.INDIA |
हाइट | 5'1 |
धर्म | हिन्दू |
कार | एंबेसडर |
एजुकेशन | स्कूल की पढाई पंजाब में की थी और कोलेज की पढाई शिमला के BM कोलेज में की थी |
एक फिल्म की फीस | 1 Crore |
Net worth | 20 Million / 155 Crore |
पसंदीदा Food | बेसन के लड्डू और पाव भाजी |
बेस्ट फिल्म निर्माता | शुभाष घाई |
म्यूजिक डिरेक्टर | एस डी बर्मन |
पसंदीदा कलर | सफ़ेद और लाल |
पसंदीदा फिल्म | अंदाज़ अपना अपना, गॉडफाधर |
पसंदीदा खेल | क्रिकेट |
पसंदीदा जगह | गोवा |
Collection | अमरीश पूरी HAT लगाने के शौक़ीन थे 200 से ज्यादा HAT का कलेक्शन था उनके पास| |
Amrish Puri Biography, Awards, Movies in Hindi
1986 में फिल्मफेर अवोर्ड फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर मेरी जंग
फिल्म के लिए मिला|
1997 में स्टार स्क्रीन अवोर्ड फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर घातक
फिल्म के लिए मिला|
1998 में फिल्मफेर अवोर्ड बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर विरासत फिल्म
के लिए मिला|
1998 में स्टार स्क्रीन अवोर्ड फॉर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर विरासत फिल्म के लिए मिला|
अमरीश पूरी से जुडी एक अफवा :- कुछ लोग ओम पूरी को अमरीश पूरी का भाई समझते हैं लेकिन इन दोनों का कोई भी रिश्ता नहीं है|
अमरीश पूरी का शुरूआती जीवन परिचय
अमरीश पूरी के दोनों बड़े भाई चमन पूरी और मदन पूरी दोनों एक्टर ही थे|
जिनमे मदन पूरी तो बॉलीवुड के जानेमाने खलनायक रहे हैं|
पढाई के दौरान
अपने दोनों बड़े भाइयों को देखकर इनका मन भी एक्टर बनने का होता था| यही ख्याल मन
में रखकर वे मुंबई आ गए थे और उस समय तक उनके बड़े भाई मदन पूरी बॉलीवुड के मशहूर
खलनायक बन चुके थे|
लेकिन मदन पूरी
ने उनसे कहा था की तुमको अपने दम पर ही यहाँ जगह बनानी होगी|
अमरीश पूरी हर
प्रोडक्शन हाउस अपनी फोटो लेकर घूमते थे और कहते थे की में हीरो बनना चाहता हूँ|
लेकिन सभी ने उनकी फोटो को रिजेक्ट कर दिया था और कहा की आप हीरो बिलकुल नहीं लगते
हो इसलिए आप हीरो नहीं बन सकते|
इसी समय एक
डायरेक्टर ने उनसे कहा था की आप हीरो तो बिलकुल नहीं बन सकते क्यूंकि आपका चेहरा
एक गुंडे जैसा लगता है आपके चेहरे में एक बदमाश नजर आता है तो आपको विलन बनना
चाहिए|
यह बात अमरीश
पूरी को बहोत बुरी लगी| इस बात से उनके दिल को बहोत ठेस पहोंची और फिर उन्होंने
एक्टिंग छोड़ने का फेसला कर लिया|
एक्टिंग का
सपना छोड़कर उन्होंने नौकरी की तलाश करना शुरू कर दिया| कुछ समय बाद उन्हें Employee’s
State Insurance Corporation में सरकारी नौकरी लग गयी| जिसके बाद 21 साल तक
उन्होंने वहां नौकरी भी की और नौकरी के दौरान एक बार फिर से उन्हें एक्टिंग से
लगाव होने लगा|
जिसके बाद वे थिएटर में एक्टिंग करने लगे| थिएटर में एक्टिंग करने के लिए
उन्हें इब्राहीम अल-काजी साहब ने प्रेरित किया था|
इब्राहीम अल-काजी साहब ने उन्हें नाटक में काम करने की प्रेरणा दी और कहा की एक्टिंग करनी है तो नाटकों से जुडो और अपने शौक को मरने मत दो अपना शौक पूरा करो| यह टाइम 1961 का था|
Amrish puri Biography, Age, Brothers, Family, Death Reason in Hindi
अमरीश पूरी की मुलाकात महान रंगकर्मी और नाटककार पंडित सत्यदेव दुबे और
गिरीश कर्नाड से हुई| इनके नाटकों में अमरीश पूरी असिस्टेंट के तौर पर काम करते
थे|
अपरिष पूरी ने अपनी जिंदगी में एक ही बात कही थी की अगर मेरा कोई गुरु है
तो वो पंडित सत्यदेव दुबे ही हैं जिन्होंने मुझे एक्टिंग के लिए प्रोत्साहित किया|
सत्यदेव दुबे के बहोत से नाटकों में अमरीश पूरी एक्टिंग करते नजर आते थे|
मुंबई के पृथ्वी थिएटर में अमरीश पूरी की छाप दिखने लगी थी|
1979 में उन्हें नाट्यजगत के जानेमाने अवोर्ड से नवाजा गया था
जिसका नाम संगीत नाटक अकादमी अवोर्ड था|
नाटको में काम करते करते उन्हें टीवी एडवरटाईसमेंट और फिल्मो में छोटे-मोटे
रोल मिल जाया करते थे|
40 साल की उम्र में उनको फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने
लगे थे लेकिन अभी भी वो अपनी सरकारी नौकरी करते थे|
अमरीश पूरी की पहेली फिल्म मराठी थी जिसका नाम “शांतता कोर्ट चालू आहे” था| यह फिल्म सत्यदेव दुबे के डाईरेकशान में बनी थी| इस फिल्म में उन्होंने एक अंधे सिंगर की भूमिका निभाई थी जो एक रेलवे स्टेशन पर गाना गता है| यह फिल्म 1971 में बनी थी|
अमरीश पूरी की पहेली फिल्म
1970 के दौर में अमरीश पूरी को फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे थे| इन फिल्मों में उन्हें सपोर्टिंग रोल ही मिलता था| जिनमे ज्यादातर उन्हें गुंडों के साथी का रोल ही मिलता था| इन फिल्मों में उनके ज्यादा डायलॉग नहीं हुआ करते थे अगर होते भी थे तो वो एक या दो लाइन से ज्यादा नहीं होते थे|
1980 में बोनी कपूर ने अमरीश पूरी के अभिनय को पहेचाना और
उन्हें “हम पांच” नाम की फिल्म में मेन
विलन का किरदार दे दिया| इस फिल्म के साथ अमरीश पूरी का किरदार भी हिट हो गया इस
किरदार का नाम वीरप्रताप सिंह था|
1982 में सुभास घाई ने अपनी फिल्म में उनको जगावर चौधरी का
किरदार निभाने दिया| इस फिल्म में अमरीश पूरी के सामने दिलीप कुमार, शम्मी कपूर और संजीव
कुमार जैसे नामी एक्टर थे| इस फिल्म का नाम “विधाता” था जिसमे अमरीश पूरी एक स्मगलर के रोल में नजर आये थे|
1983 में एक बार
फिर सुभाष घाई ने अमरीश पूरी को अपनी फिल्म में मेन विलन के रोल के लिए पसंद किया|
इस फिल्म का नाम “हीरो” था और इस फिल्म में लीड रोल में जेकी श्रोफ थे| इस फिल्म
में अमरीश पूरी को विलन पाशा का रोल मिला था जो आज भी बहोत मशहूर है|
इस फिल्म के बाद तो मानो जैसे की शुभाष घाई ने अमरीश पूरी को अपनी हर फिल्म
के विलन के रोल के लिए सिलेक्ट कर लिया था| इसके बाद अमरीश पूरी की तो जिंदगी ही
बदल गयी थी|
1980 से 1990 के दौर में आप कोई भी फिल्म देखलो सभी फिल्म में विलन के रोल में अमरीश पूरी ही दिखाई देंगे|
Amrish Puri Controversy
अमरीश पूरी को खलनायकों का खलनायक क्यों कहा जाता है ?
अमरीश पूरी को खलनायकों का खलनायक इसलिए कहा जाता है की उनके जैसी भारी
आवाज़ और जबरदस्त एक्टिंग का टेलेंट और किसी के पास नहीं था| वो रोज तीन घंटे अपनी
आवाज़ का रियाज करते थे यानी डायलॉग की अच्छे से प्रेक्टिस करते थे|
आज भी लोग अमरीश पूरी की एक्टिंग से ज्यादा उनकी आवाज के दीवाने हैं|
Amrish Puri Biography in Hindi
अमरीश पूरी की पहेली हॉलीवुड फिल्म GANDHI थी|
धीरे धीरे अमरीश पूरी की लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी की जुरासिक पार्क फिल्म के
डाईरेकट्रर स्टीवन स्पीलबर्ग उनके दीवाने हो गए और उन्होंने Indiana Jones and the Temple of Doom फिल्म के स्क्रीन टेस्ट
के लिए अमरीश पूरी को मुंबई से अमेरिका आने का कहा|
लेकिन अमरीश पूरी ने मना कर दिया और कहा आपको अमरीश पूरी का स्क्रीन टेस्ट लेना है तो आप मुंबई आओ में क्यों अमेरिका आऊ| अमरीश पूरी की इस बात से हॉलीवुड डाईरेकटर स्टीवन स्पीलबर्ग बहोत खुश हुए और वो खुद स्क्रीन टेस्ट लेने मुंबई आये| अमरीश पूरी और स्टीवन स्पीलबर्ग
इस तरह से अमरीश पूरी को Indiana Jones and the Temple of Doom नामकी दूसरी
हॉलीवुड फिल्म मिली थी| यह फिल्म 1984 में आई थी और इस फिल्म में “मोला राम” का
किरदार अमरीश पूरी ने निभाया था|
इस फिल्म में अमरीश पूरी गंजे दिखाई दिए थे और यह लुक अमरीश जी को बहोत पसंद आया था और उन्होंने कहा था की अबसे यही मेरा परमानेंट लुक है|
शेखर कपूर अपनी फिल्म के लिए एक डरावना खूंखार विलन ढूंढ रहे थे| पहेले
शेखर कपूर अनुपम खेर को सिलेक्ट करने वाले थे लेकिन बाद में उनको अनुपम खेर में वो
चीज नहीं दिखी जो एक खूंखार विलन में होनी चाहिए|
फिर बाद में शेखर कपूर को ख्याल आया की अगर ये रोल कोई कर सकता है तो वो सिर्फ
अमरीश पूरी ही हैं| इस फिल्म का नाम MR.INDIA था| जिसने रिलीज़ होते ही
धमाल मचा दी थी| इस फिल्म का एक सदाबहार डायलॉग “मुगेम्बो खुश हुआ” जो अमरीश पूरी
ने कहा था|
इस फिल्म के रिलीज़ के बाद अमरीश पूरी कहीं भी जाते तो उनके दोस्त और उनके फेन सभी उनसे एक बात कहते प्लीज MR.INDIA का डायलॉग मुगेम्बो खुश हुआ एक बार सुनाइए ना|
अमरीश जी ने सिर्फ विलन के ही किरदार नहीं निभाए थे उन्होंने कुछ किरदार
में कॉमेडी भी करी थी तो कुछ किरदार में वो एकदम भावुक नजर आये थे|
चाची 420 फिल्म में उन्होंने कॉमेडी करी थी तो घायल और दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे जैसी फिल्मों में भावुक किरदार भी निभाए थे|
अमरीश पूरी के पोते वर्धन पूरी बॉलीवुड में स्ट्रगल कर रहे हैं और उनकी
पोती डॉक्टर है| वर्धन पूरी का कहना है की वो बूल्य्वूद के सबसे खतरनाक विलन की
गोद में खेले हैं और प्यार से हाँ उन्हें दादू कहते थे|
Amrish Puri Death reason
12 जनवरी 2005 को जब शायद उपरवाले को किसी बेहतरीन फिल्म के
लिए एक शानदार विलन की जरूरत थी तो इसीलिए खलनायकों के खलनायक अमरीश पूरी को अपने
पास बुला लिया| अमरीश पूरी का ब्रेन हेमरेज की वजह से निधन हो गया|